झेलम छात्रावास जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के उत्तरी मुख्य प्रवेश द्वार से लगभग २०० मीटर अन्दर उत्तराखंड क्षेत्र में अवस्थित है। इसके आस-पास में गंगा, यमुना और सतलज छात्रावास, विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केन्द्र इत्यादि है। यह विश्वविद्यालय के प्राचीनतम छात्रावासों में है। इसका निर्माण ८० के दशक में हुआ था। इसमें तकरीबन ३५० छात्र रहते हैं। यह दो भागो में विभक्त हैं-पूर्वी और पश्चिमी। प्रारंभ में इसके पूर्वी भाग में छात्र एवं पश्चिमी भाग में छ्त्रायें रहा कराती थी लेकिन अब यह पूर्णतः छात्रों के लिए है। यहाँ स्नातक के विद्यार्थी से लेकर पी० एच० डी० के शोधार्थी तक रहते हैं। इस विश्वविद्यालय के हर छात्रावास की तरह यहाँ भी प्रबंधन के लिए ४ वार्डन-प्रो० नायडू सुब्बाराव, प्रो० सौगात भादुडी, प्रो० माधव गोविन्द और प्रो० अमित प्रकाश हैं। ये छात्रों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के साथ मिलकर छात्रावास की देख-रेख करते हैं।
इस छात्रावास की अपनी कुछ परम्पराएं हैं। यहाँ के छात्र प्रतिवर्ष होली के मौके पर इसी के समीप झेलम मैदान में "चाट महासम्मेलन" नाम से एक हास्य कवि गोष्ठी आयोजित करते हैं जो की पूरे विश्वविद्यालय के लिए आकर्षण का केन्द्र रहता है। इसमे सारे लोग पूरे उत्साह से भाग लेते हैं। यह रात्रि में १० बजे से शुरू होता है और लगभग २ बजे पूर्वाहन तक समाप्त होता है। सर्वप्रथम एक बारात निकाली जाती है जो ताप्ती छात्रावास से चलकर झेलम छात्रावास आती है जहाँ परम्परागत तरीके से उसका स्वागत किया जाता है। उसके बाद कार्यक्रम शुरू होता है। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सज्जद इब्राहिम उर्फ मामू होते हैं जिन्होंने यहीं से अपना पी० एच० डी० किया है। उसके दूसरे दिन होली पूरे जोश-खरोश से मनाई जाती है। इसी के समीप गंगा ढाबा है जो शुरुआत से ही विश्वविद्यालय का सामजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक केन्द्र रहा है।
Thursday, October 16, 2008
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1 comment:
स्वागत है! चाट सम्मेलन के कुछ सीन पेश किये जायें।
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