जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ सर्वश्रेष्ठ छात्र संघो में एक है। छात्र संघ चुनाव के तारीख की घोषणा हो चुकी है और सारे राजनीतिक दल चुनाव की तैयारी में जुट गई है। खास बात यह है कि यहाँ चुनाव की सारी प्रक्रिया छात्रों द्वारा ही निष्पादित किया जाता है। इसमे विश्वविद्यालय प्रशासन का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है।
अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव एवं संयुक्त सचिव सहित कुल ३४ पदों के लिए मतदान होता है। १६-१७ अक्टूबर, दो दिन चली नामांकन प्रक्रिया में इन पदों के लिए कुल ३९० नामांकन दाखिल किए गए। १९ अक्टूबर नामांकन वापस लेने की आखिरी तिथि थी। इस दरम्यान सारे दल अपने चुनाव पूर्व बैठक कर के अपने प्रतिनिधि का अन्तिम फैसला और अपने चुनावी रणनीति बनाने में लगे रहे। २० अक्टूबर से सारे दल अपने उम्मीदवारों के प्रचार-प्रसार में लग जायेगी। यहाँ छात्र संघ के प्रतिनिधियों के इस्तीफा देने के २८ दिनों के अन्दर चुनाव संपन्न करा लेने का प्रावधान है। चुनाव आयोग के सारे सदस्य भी यहीं के अनुभवी छात्र होते हैं।
चुनाव से पूर्व सभी विद्यालयों में वर्त्तमान पार्षदों द्वारा उनके पिछले कार्यो का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाता है जिसपर उस विद्यालय की आमसभा द्वारा निर्णय लिया जाता है और इसी के साथ सारे दल अपने संभावित उम्मीदवार की तलाश शुरू कर देते हैं।
चुनाव आयोग द्वारा घोषित तिथियों के अनुसार ३ नवम्बर को मतदान होना तय है। उससे पूर्व सारे विद्यालयों में भी चुनाव में भाग ले रहे उम्मीदवार के बीच वाद-विवाद रखी जाती है जिसमे दूसरे दल के उम्मीदवार समेत आम छात्र भी अपने होने वाले प्रतिनिधि से अपने सवाल पूछते हैं। इसके बाद १ नवम्बर को झेलम मैदान में (झेलम छात्रावास के समीप) विश्वविद्यालय आमसभा की जायेगी जिसमे सारे केंद्रीय पदों के उम्मीदवार हिस्सा लेंगे और अपना पक्ष रखेंगे। इसके दूसरे दिन २ नवम्बर को रात्रि के भोजन के बाद अध्यक्षीय पद के उम्मीदवार सारे छात्रो से रू-ब-रू होंगे जिसका पूरे विश्वविद्यालय को साल भर से इंतज़ार रहता है। इस दौरान वो अपने दल के विचार, सिद्धांत और चुनावी मुद्दा रखेंगे। इस अध्यक्षीय भाषण पर पूरे देश की ही नहीं अपितु पश्चिमी पूंजीवादी देशो के शैक्षणिक संस्थानों की भी नजर होती है। यह कहना न होगा कि पिछले कुछ सालो से इसके स्तर में गिरावट आयी है। ३ नवम्बर को विभिन्न विद्यालयों में बने मतदान केन्द्रों पर छात्र मतदान करेंगे जिसकी गिनती उसी दिन रात के ९ बजे से शुरू हो जायेगी और ५ नवम्बर को परिणाम की घोषणा कर दी जायेगी और ६ नवम्बर से नए चुने गए प्रतिनिधि अपना कार्य-भार संभाल लेंगे।
इस चुनाव में सामिल होने वाले प्रमुख राजनीतिक दल हैं-अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP), नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ़ इंडिया (NSUI) , आल इंडिया स्टूडेंट्स असोसिएशन (AISA), स्टूडेंट्स फेडरेशनऑफ़ इंडिया (SFI) , यूथ फॉर इक्वलिटी (YFE), आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF), इत्यादि। यहाँ के चुनाव में सारे दल हाथ से बने बैनर और पोस्टर का इस्तेमाल करते हैं और छात्रों से व्यक्तिगत संपर्क करते हैं। लेकिन नए तकनीक के आ जाने से हाल के कुछ वर्षों में यहाँ का चुनाव प्रचार भी उच्च तकनीक से लैस हो गया है। लोग एस० एम० एस०, ई-मेल, ब्लॉग इत्यादि का भी सहारा ले रहे हैं।
यहाँ का चुनाव एक आदर्श चुनाव माना जाता है क्योंकि यहाँ धन और बाहुबल की नहीं बल्कि सिद्धांतों की राजनीति होती है। यहाँ का चुनाव जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद, इत्यादि से ऊपर उठकर होता है। लोग अपने उम्मीदवार का प्रचार निष्पक्ष तरीके से करते हैं। लेकिन इसका काला सच यह भी है कि राजनीतिक दलों के कार्यकर्त्ता जाति, धर्म, क्षेत्र, इत्यादि के नाम पर भी मतदाताओ को अपने पक्ष में करने में लगे रहते हैं। राजनीतिक दलों का चुनावी मुद्दा विश्वविद्यालय परिसर की समस्याओं को छोड़कर सभी कुछ होता है। ये दुनिया भर की बातें करेंगे सिवाय छात्रों की मुख्य समस्याओं के। ये नए छात्रों को नामांकन से ही उसे एक मत के रूप में देखते हैं और अपने दल में शामिल करने की कोशिश करते रहते हैं। जिसका बुरा असर नए छात्रो पर पड़ता है। पर इन राजनीतिक दलों को इससे क्या लेना-देना उन्हें तो अपना वोट बैंक की राजनीति करनी है और आदर्श, छात्र हितों कि रक्षा कराने वाला दल कहलाना है।
Sunday, October 19, 2008
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1 comment:
gud yaar
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