कई दिनों तक कानी कुतिया सोयी उनके पास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त
दाने आए घर के अन्दर कई दिनों के बाद
धुंआ उठा आँगन के ऊपर कई दिनों के बाद
चमक उठी घर भर की आँखे कई दिनों के बाद
कौए ने खुजलाई पाँखे कई दिनों के बाद
-नागार्जुन (1952)
1 comment:
बढिया रचना प्रेषित की है। आभार।
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