भाषा साहित्य एवं संस्कृति अध्ययन संस्थान की शुरुआत जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही
सन् १९६९ में हुई थी। शुरुआत में यहाँ मुख्यतः यूरोपीय एवं एशियाई भाषा-अरबी, चीनी, फ्रांसीसी, जर्मन, जापानी, कोरियाई, फारसी, रुसी एवं स्पेनी भाषा की पढ़ाई होती थी। यह पाठ्यक्रम स्नातक एवं परास्नातक साथ-साथ जुडा है। बाद में परास्नातक स्तर पर हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी, भाषा विज्ञान की पढ़ाई भी होने लगी। अब इन सभी भाषाओं में पी० एच० डी० तक पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। पस्तु, मंगोलियाई, भाषा इंडोनेशिया और उर्दू भाषा में डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी उपलब्ध है। इन भाषाओं के अध्ययन एवं शोध कार्य के लिए कई केन्द्र बनायें गए हैं जो निम्न हैं-
- अरबी एवं अफ्रीकी भाषा अध्ययन केन्द्र
- चीनी एवं दक्षिणी पूर्वी एशियाई भाषा अध्ययन केन्द्र
- फ्रांसीसी भाषा अध्ययन केन्द्र
- जर्मन भाषा अध्ययन केन्द्र
- भारतीय भाषा केन्द्र
- जापानी कोरियाई एवं उत्तर पूर्वी एशियाई भाषा अध्ययन केन्द्र
- अंग्रेजी भाषा अध्ययन केन्द्र
- भाषा विज्ञान अध्ययन केन्द्र
- फारसी एवं मध्य एशियाई भाषा अध्ययन केन्द्र
- रुसी भाषा अध्ययन केन्द्र एवं
- स्पेनी पुर्तगाली इतालवी एवं लातीनी अमेरिकी भाषा अध्ययन केन्द्र
भाषाओं में शोध कार्य एवं विकास के लिए एक भाषा प्रयोगशाला भी है जो की विश्वविद्यालय के पुराने परिसर में स्थित है। यह भारत की सर्वोत्तम प्रयोगशालाओ में एक है। यहाँ सॉफ्टवेयर और दृश्य-आवाज पाठ्य सामग्री भी तैयार की जाती है। प्रयोगशाला की बहुत सारी मशीने जापान, जर्मनी, रूस, इरान इत्यादि देशों से उपहारस्वरूप प्राप्त हुई है। इस प्रयोगशाला में एक सभागार, तीन कैमरा युक्त विडियो स्टूडियो, विडियो प्रदर्शन कक्ष इत्यादि है।
प्रो० वरयाम सिंह अभी यहाँ के संस्थानाध्यक्ष हैं। ११ वीं० पंचवर्षीय योजना के तहत इस संसथान का और भी विस्तार किया जाना है और भारतीय भाषा केन्द्र को अलग भारतीय भाषा संस्थान बनाया जाना है। साथ ही और भी अन्य भारतीय और विदेशी भाषा में पाठ्यक्रम और शोध कार्य की शुरुआत होनी है।
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